दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग, जिस प्रकार गीता में मन को काबू करने और योग आदि के बारे में विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है, उसी प्रकार मनुष्य की सभी चिंताओं का निवारण दुर्गा सप्तशती के ग्रंथ में दिया गया है। भुवनेश्वरी संहिता में कहा भी गया है कि वेदों की भांति ही सप्तशति भी अनादि से है।

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग की जरूरत आज के समय में हर व्यक्ति को है। इस प्राचीन ग्रंथ में हमारी हर समस्या का निवारण दिया गया है। इस ग्रंथ में कुल 700 श्लोक है, जो मुख्यतः तीन चरित्र में विभाजित किए गए है। दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग के लिए इन तीनों चरित्र का अपना अलग महत्व है।

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग
दुर्गा सप्तशती के तांत्रिय प्रयोग

पहले चरित्र में महाकाली की आराधाना, दूसरे चरित्र में महालक्ष्मी की आराधना और तीसरे चरित्र में महा सरस्वती की आराधना की गई है। प्रत्येक चरित्र में 7-7 देवियों के श्लोक का उल्लेख मिलता है।

दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में कुल 13 अध्याय दिए गए है। प्रत्येक अध्याय का अपना अलग महत्व है। आइये दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में सर्वप्रथम हम प्रत्येक अध्याय का महत्व जान लेते है-

  1. प्रथम अध्याय मानसिक तनाव को दूर रखने और मन को एकाग्र रखने के लिए है।
  2. दूसरा अध्याय लड़ाई-झगड़े से बचने और मुकदमे में जीत के लिए है।
  3. शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए दुर्गा सप्तशती के तांत्रिक प्रयोग में तीसरे अध्याय की आराधना करनी चाहिए।
  4. चौथा अध्याय भक्ति और शक्ति पाने के लिए है।
  5. जो लोग अधिक परेशान रहते है और मंदिर आदि में भी उन्हें शांति नहीं मिलती उन्हें, दुर्गा सप्तशती के पंचम अध्याय की मदद लेनी चाहिए।
  6. राहू-केतु के भारी होने और भय को दूर करने के लिए छठा अध्याय है।
  7. सातवां अध्याय सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण करने के लिए है।
  8. वशीकरण आदि प्रयोग के लिए दुर्गा सप्तशती से वशीकरण के आठवें अध्याय की मददलें।
  9. नौवें अध्याय की आराधना से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
  10. किसी गुमशुदा की तलाश और अपने बच्चों को सन्मार्ग पर लगाने के लिए दशम अध्याय पढ़ना चाहिए।
  11. ग्यारवां अध्याय व्यापार में लाभ और सुख-समृद्धि के लिए है।
  12. समाज में मान-सम्मान पाने के लिए बाहरवां अध्याय है।
  13. तेहरवा अध्याय अपनी साधना को निर्विकार पूर्ण करने के लिए है।

दुर्गा सप्तशती से वशीकरण

दुर्गा सप्तशती से वशीकरण, जैसा की हमने आपको बताया है कि दुर्गा सप्तशती में सभी प्रकार की समस्याओं के समाधान के लिए तंत्र-मंत्र दिए गए है। आज के समय में मनचाहा प्यार पाना, ऑफिस में बॉस से प्रमोशन पाने और पति को गलत रास्ते पर जाने से रोकने आदि कई कार्यों के लिए दुर्गा सप्तशती से वशीकरण मंत्र की आवश्यकता बहुत अधिक बढ़ गई है। यदि आप भी किसी को अपने वश में करना चाहते है तो दुर्गा सप्तशती से वशीकरण मंत्र का प्रयोग कर सकते है।

  • दुर्गा सप्तशती से वशीकरण का मंत्र इस प्रकार है-

मंत्र- ज्ञानिनापि चेतांसि देवी भगवती हि सा,

बलादा कृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।

इस मंत्र का आपको 21 दिनों के भीतर 11,000 बार उच्चारण करना है। जाप पूरी होने के पश्चात आपको 1,000 आहूतियों द्वारा यज्ञ करना है। आहूतियां देते दौरान उस व्यक्ति का चित्र अपने सामने रखे और प्रत्येक आहूति के दौरान उस व्यक्ति का नाम ले।

दुर्गा सप्तशती से वशीकरण को जल्द सिद्ध करने के लिए आपको पायस,तिल, घृत, इलायची, बिल्व आदि से हवन करना है। पूरी क्रिया समाप्त होने के बाद सभी सामग्री किसी बहते जल में प्रवाहित कर दें।

दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र

दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र का सभी मंत्रों मे सबसे ज्यादा महत्व है। मारण मंत्र सुनने से ऐसा प्रतीत होता है मानो यहां पर किसी की मृत्यु करने की बात की जा रही है। लेकिन असल में यहा मारण का अर्थ है, अपने अंदर की कषायों को मारना, ईर्ष्या का नाश करना और मन में आने वाले बुरे ख्यालों से मुक्ति पाना।

यदि आप किसी शत्रु के नाश के लिए इस दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र का प्रयोग कर रहे है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि शत्रु की मौत हो जाएगी। यहां कहने का तात्पर्य यह है कि आपके और उस व्यक्ति के बीच शत्रुता का नाश हो जाएगा। आइये दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र भी जान लेते है-

  • दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र का प्रयोग बच्चा, बूढ़ा और जवान कोई भी कर सकता है। इस मारण मंत्र का जाप आप हफ्ते में किसी भी दिन कर सकते है। नवरात्रों में इस मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है।

मंत्र- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै देवदत्त रं रं खे खे मारय मारय रं रं शीघ्र भस्मी कुरू कुरू स्वाहा।।

इस मंत्र का जाप आपको स्फटिक, कमलगट्टे या मूंगे की माला पर करना है। जाप शुरू करने से पूर्व स्नान आदि कर स्वच्छ लाल वस्त्र धारण कर ले और लाल आसन बिछाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके मंत्रोच्चारण प्रारंभ करें। अपने शत्रुओं पर विजय पाने और मन में अच्छे विचारों को लाने के लिए आप हफ्ते में एक बार इस दुर्गा सप्तशती मारण मंत्र का जाप अवश्य करें।

दुर्गा सप्तशती आकर्षण मंत्र

दुर्गा सप्तशती आकर्षण मंत्र की मदद से आप अपने अंदर की शक्ति को कई गुना बढ़ा सकते है। अपने अंदर की आकर्षण शक्ति बढ़ाने के बाद इस संसार का प्रत्येक व्यक्ति आपकी छवि और प्रतिभा की ओर स्वयं ही आकर्षित होने लगेगा।

इस मंत्र का प्रयोग मुख्यतः किसी खास व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए किया जाता है। यदि आप किसी से मन ही मन प्रेम करते है और उसे अपनी ओर आकर्षित करना चाहते है तो इस दुर्गा सप्तशती आकर्षण मंत्र का प्रयोग कर सकते है।

  • दुर्गा सप्तशती के आकर्षण मंत्र की विधि अन्य मंत्रों की भांति ही सुबह के समय स्नान आदि के पश्चात किया जाता है। इस मंत्र का प्रयोग रविवार के दिन करना चाहिए। मंत्रोच्चारण के दौरान पीले आसन पर विराजमान होना है, साथ ही आपके आसपास का वातावरण शुद्ध एवं एकदम शांत होना चाहिए। दुर्गा सप्तशति आकर्षण मंत्र इस प्रकार है-

मंत्र- ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे देवदत्तं यं यं शीघ्रमार्कषय आकर्षय स्वाहा॥

इस मंत्र में देवदत्तं के स्थान पर उस पुरूष या महिला का नाम लेना है, जिसे आप अपनी ओर आकर्षित करना चाहते है। जाप पूरी होने के बाद आपको माँ भगवती की आरती करनी है। यह बात बहुत कम लोग जानते है कि देवी-देवताओं की आरती 14 बार उतारी जाती है।

वशीकरण तोड़ने का उपाय

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वशीकरण पूजा हिन्दू धर्म मैं पूजा का बहुत महत्व है. मनचाहे कार्य हेतु हिन्दू धर्म मैं पूजा करवाई जाती है. पूजा के द्वारा आप पूजा से सम्बंधित देवता का आव्हान करके उनको प्रसन करते है, जिसके द्वारा उनके आशिर्वाद स्वरूप आप को उनकी कृपा प्राप्त होती है और आपके मनचाहे कार्य सिद्ध होते है. इसी तरह वशीकरण पूजा से आप वशीकरण मंत्र को सिद्ध करके किसी को भी अपने वश मैं करके उससे मनचाहे कार्य सिद्ध करवा सकते है.